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जाय दऽ हमर सरहद पर / उमेश बहादुरपुरी
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तोहर पायल के झंकार गोरी हमरा न´् लागऽ हे नीक।
जाय दऽ हमरासरहद पर तोहरा से माँगऽ ही भीख।।
सबसे पहिले हिअइ हम ई देसवा के सिपहइया।
असरा हमर देख रहल सीमा पर धरती मइया।
तिलक लगा के बिदा करऽ हमरा बनाके निरभीक।। जाय ....
ई प्यार करे के समय हे न´् आ गेलइ देश पर खतरा।
पहिले माय के बेटा ही फेर हिओ तोहरा भतरा।
लाके हमर हाँथ बंदुक दऽ हमरा न´् लगबऽ तूँ हीक।। जाय ....
छतिया के जे दुधवा पिलइलक ओकरा से न´् करबइ गद्दारी।
हमकी देबइ जवाब ओकरा पुछतइ जब महतारी।
चीर देबइ दुश्मन के छाती बना देबइ ओकरा पर लीक।। जाय ...
हे बेकार हमर ई जिनगी हे बेकार जुआनी।
आझ तो देबे पड़तै हमरा अप्पन अब कुरबानी।
धरती मइया से मागऽ अप्पन सोहाग के भीख।। जाय ...