भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मगहिया शेर / उमेश बहादुरपुरी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:25, 14 मार्च 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नजर मिलइहऽ नञ् हमरा से कर देम सबके ढेर
हम मगहिया शेर ही हम मगहिया शेर
पौरुष हमर देख के उतर जाहे सबके पानी
कूदऽ ही जब दंगल में आबे आद बड़-बड़ के नानी
ई मगध में एक से बढ़ के एक हलन समशेर
सीना-तान के चललन हल जग जीते ले सिकंदर
उनखा की मालुम विजय-रथ रूकत मगध के अंदर
इहे मगध में चंद्रगुप्त के जैसन हलन दिलेर
नालंदा के खंडहर देखऽ ज्ञान-पीठ संसार के
राजगीर में लगऽ हल एक-दिन जयकारा बिंबिसार के
ज्ञान-पुंज बन जइतै नालंदा जगत में फिनु एक बेर
समझऽ हे जे खुद के बिक्रम देखे रस्ता रोक के
बुद्ध-महावीर के ई धरती, धरती महान अशोक के
दुनहुँ हाँथ से स्वर्ण लुटइलन बनके करन कुबेर