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होथौं तोरे नाम / ब्रह्मदेव कुमार
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सुनोॅ हो लोग सब हाटोॅ के
रखियोॅ लाज हमरोॅ बातोॅ के।
अनपढ़-निरक्षर भैया-भौजी के
भाग खुललौं आबेॅ टाटोॅ केॅ।
पैंट-शर्ट जुŸाा-घड़ी पिन्ही केॅ
राज कुमारे जैसनोॅ चलथौं
दसखत करै लेॅ कहबोॅ तेॅ भैया
अंगुठा तुरत बढ़ाय केॅ देथौं।
पढ़ै-लिखै लेॅ कुछु जों कहबोॅ
हँसी-हँसी केॅ दाँत बिदोरथौं
गज्जी साड़ी पिन्ही केॅ भौजी
श्री देवी के जैसनोॅ लागथौं
वोहोॅ भुसगोल छै भैये नांकी
दोसरां कन जाय केॅ टी वी देखथौं ।
पूछबौं कि कुछु बुझै छोॅ भौजी
लाजोॅ सेॅ दाँत ठिठियाय देथौं।
भैया-भौजी केॅ करौं प्रणाम
पढ़ै-लिखै के करोॅ तों काम
पढ़ी-लिखी केॅ शिक्षित बनोॅ
ओकरा सेॅ होथौं तोरे नाम।
दस बीच दसखत करी केॅ भैया
मोंछ घुमाय दोॅ रटियाय केॅ।