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कितना निर्मल है मन उसका / मृदुला झा

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हर दिन लगता पावन उसका।

यश वैभव बरसे नित आंगन,
कितना सुखमय जीवन उसका।

जगमग ज्योति में पौरूष की,
पल बीते मन भावन उसका।

वह जग में महिमा मंडित है,
गुण गाये जन-गण-मन उसका।

दीन-दुखी की सेवा कर के,
खिल उठता है तन-मन उसका।