भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम सफर कबूल है मुझे / मृदुला झा

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:24, 4 मई 2019 का अवतरण (Rahul Shivay ने हम सफर कबूल है मुझेए / मृदुला झा पृष्ठ हम सफर कबूल है मुझे / मृदुला झा पर स्थानांतरित कि...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर खबर कबूल है मुझे।

जो गुनाहों से बचा सके,
वह डगर कबूल है मुझे।

तुम रहो सुकूँ से उम्र भर,
दर-ब-दर कबूल है मुझे।

तुम चलो जो साथ दूर तक,
तो सफर कबूल है मुझे।

झूठ से गुरेज भी नहीं,
सच मगर कबूल है मुझे।

जिसमें प्यार की हो रोशनी,
वो नज़र कबूल है मुझे।