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रब ने ये दर्द दिया मुझको / मृदुला झा
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साले क्यों रोज हिया मुझको।
क्या लेना और क्या देना है,
बन्धन से मुक्त किया मुझको।
मैं सनकी और दीवाना हूँ,
इल्ज़ाम से ओठ सिया मुझको।
सब तेरा-मेरा छूट गया,
उसने जब थाम लिया मुझको।
नाहक था शक उन पर मेरा,
करते हैं प्यार पिया मुझको।