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जीवन के अनजाने पथ पर चलना तुम स्वीकार करो / मृदुला झा

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जीवन के अनजाने पथ पर चलना तुम स्वीकार करो
दुख आये जब भी जीवन में हँसकर अंगीकार करो

भूली बिसरी यादें ही जीने का संबल देती हैं
अपने पौरूष के बल पर ही सपने सब साकार करो

सच्चाई, अनुशासन को ही जीवन का आदर्श बनाए
सबके दुख को अपना कर तुम सबका बेड़ा पार करो

रम्य मनोहर वसुधा को हरियाली से भर भर कर ही
अनगिन वृक्षों की रक्षा कर तुम उसका शृंगार करो

सारे कलुषित भावों को उत्सर्ग करो गंगा जल में
सबके मन में प्रेम जगा कर सबका बेड़ा पार करो