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कबूतर / फुलवारी / रंजना वर्मा
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कहे कबूतर गुट्टर गूँ।
बन्द किया है मुझको क्यूँ॥
खाता हूँ सरसों काकुन।
गाता गुट्टर गूँ की धुन॥
मुझे पाल लो गाऊँ गुन।
बातें लो मेरी भी सुन॥
भोला भाला पंछी हूँ
बन्द किया है मुझको क्यूँ॥