भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नियति / संवर्त / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:37, 8 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=संवर्त / महेन्द्र भटनागर }} संद...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संदेहों का धूम भरा
साँसें
कैसे ली जायँ !

अधरों में
विष तीव्र घुला
मधुरस
कैसे पीया जाय !

पछतावे का ज्वार उठा
जब उर में
कोमल शय्या पर
कैसे सोया जाय !

बंजर धरती की
कँकरीली मिट्टी पर
नूतन जीवन
कैसे बोया जाय !