भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार / रणजीत
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:02, 18 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणजीत |अनुवादक= |संग्रह=बिगड़ती ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्यार
राजमलै अभयारण्य मुन्नार के
उन हल्के बैंगनी फूलों की तरह खिलता है
बारह बरस में एक बार
और तबीयत बाग़-बाग़ हो जाती है
पर उस एक बहार के बाद?
सीधी सपाट शैल-पीठिका पर
बरसों तक निचाट निष्पुष्प निर्जनता
और इन्तज़ार...बस इन्तज़ार...
यही है मेरी दुनिया में प्यार
का वास्तविक रूपाकार!