भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्थिति / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:34, 9 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=जूझते हुए / महेन्द्र भटनागर }} ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समेटे सिमटता नहीं

बिखराव !

नहीं है दिशा का पता

भटकाव !

जटिल से जटिलतर हुआ

उलझाव !

हुआ कम न, बढ़ता गया

अलगाव !