Last modified on 28 मई 2019, at 00:10

बढ़ता गया हिसाब / मधुकर अस्थाना

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:10, 28 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुकर अस्थाना |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मिला किसे उपचार
यहाँ माथे की सलवट का
बढ़ता गया हिसाब रात भर
सीली करवट का

ऊपर धुँवा आग
है नीचे पछुवा में तेजी
मिली न पाती खुशबू की जो
पुरूवा ने भेजी
खेल मदारी का है अपना
अभिनय मरकट का

बिके हुए सामन्‍त
सहायक सारे बाहुबली
जिन्‍दा बम के सम्‍मुख क्‍या
अल्‍ला बजरंग बली
देख रहे युग-युग से रंग
बदलना गिरगिट का

निर्भय तंत्र लोक
घायल है पंख विहीन परिन्‍दा
ऊपर बाज शिकारी नीचे
किस्‍मत से हैं जिन्‍दा
अभी न अप्रिय जीवन टालें
निर्णय लम्‍पट का