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अखबारी भाषण / जयराम दरवेशपुरी

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हमरा अपन घर में भी
डर लग रहल हे
एने जाँच-चुगुल के
नजर लग रहल हे

केकरा से कहूँ कोय
सुने न´ कुछ केकरो
आदमी आदमी के अब
जहर लग रहल हे

जाति धरम के भूत
हर दिल में भरम
गिरल जोखिम में जिनगी
कहर लग रहल हे

हम फोड़ूँ जेकर सिर
ऊ फोड़े हमर सिर
खूनी आतंक आठो
पहर लग रहल हे
बिख भरल हावा में
चलके अमृत घोरऽ
आज बोली बड़
आडम्बर लग रहल हे,

अखबारी भाषण अउ
झूठ वादा पर वादा
अचरज में जयराम
मगर रहल हे।