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सब बिलाड़ हन देश के रक्षक / जयराम दरवेशपुरी
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बंदर बन ठन नाच रहल हे
भीड़ हे भारी भालू के
ई धरती पर पूछ हो भइया
सचकोलवन सब गालू को
गाल बजावऽ तुकऽ मिलावऽ
तेरे मुँह मलाय उड़इवा
धैल जमाना चालू के
मिठ मोहना मिसरी बोली
फोर जोर नित
करे ठिठोली
दुर्गति सगरे हे किसान के
पूछला जाके कालू के
उड़न खटोला
कार हे ओकरे
सत्त अउ सरकार हे ओकरे
व्यापारी हे राजनीति के
भजवे मोती बालू के
सड़सठ साल के तोंदू भक्षक
सब बिलाड़ हन देश के रक्षक
असुरता के
राग में नाचे
रूप रचल हलालू के।