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तिल के ताड़ बनावऽ हऽ / जयराम दरवेशपुरी
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तिल के ताड़ बनावऽ हा
मजे में मौज उड़ावऽ हा
आल-जाल बड़ जानऽ हा
देवता-देवी मानऽ हा
भरम के चक्कर
चलवे खातिर
रंग बहुत तू बान्हऽ हा
अफसर आगू चमचा हा
गुंडा के बगल बच्चा हा
असमंगलिंग के
धंधा तोहर सच न´ कभी बतावऽ हा
ऊपर से तऽ नीक लगऽ हा
शुभ जतरा पर छींकऽ लगऽ हा
कायर भारी चिलरो डर से
उछल छलांग लगावऽ हा
चकमा देवे में आगू हा
मौका पर असली भालू हा
काम पड़े गिदरों के बाबा
कहि-कहि तुहीं हंुकावऽ हा।