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खइला से खइला / जयराम दरवेशपुरी
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माँगे अइला भोट आज तू
कल्हइ की-की कइला?
जे पत्तल में खइला छक के
ओकरे छेर गेन्हइला
बदल-बदल के रूप कत्ते तू
कउहर-कउहर रोज मचइला
जोंक नियन तू चूस-चूस के
अप्पन तोंद बढ़इला
गेनरा ओढ़ के घी तू पीला
बुद्धू महा बनइला
खोजऽ ही इन्साफ मगज में
लह-लह लाल इंगोरा
इयाद करऽ सोना-सन देशवा
बानी भेल बंगौरा
छलनी-छलनी गाँव-गाँव के
कुरूखेत बनइला
तोंद बढ़ल के पचकइवो अब
सब तोहरा बोकरइबो
तोहनी सब के पकड़ि-पकड़ि के
कुकवत रगड़ लगइबो
अब न´ चलतो चलती तोहर
तू खइला से खइहला।