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सोचिए किस तरह बचा है पेड़ / विनय मिश्र
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सोचिए किस तरह बचा है पेड़
धूप तीखी है पर हरा है पेड़
झर गईं पत्तियांँ मगर देखो
खामुशी ओढ़कर खड़ा है पेड़
आज हारे थके मुसाफिर को
एक उम्मीद—सा दिखा है पेड़
धूप मिट्टी हवा औ बारिश का
एक नायाब ज़ायका है पेड़
एक एहसास बनकर ख़्वाबों में
याद आए तो और क्या है पेड़
मुझको लगता है कोई अपना था
आपके वास्ते कटा है पेड़
ज़िन्दगी की जगह कहीं मैंने
दिल में आया तो लिख दिया है पेड़