Last modified on 13 जुलाई 2019, at 15:30

एक होता कि दूसरा होता / रवि सिन्हा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:30, 13 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवि सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक होता कि दूसरा होता
कोई तो ख़ुद का फ़ैसला होता

ज़िन्दगी को यहीं पहुँचना था
रास्ता तो मगर चुना होता

आँख खोली है सुबह होने पर
रात का सामना किया होता

आपने दुश्मनी निबाही है
आपसे कुछ तो फ़ासला होता

आज दुनिया का खेल देखा है
कल की दुनिया से मश्ग़ला<ref>सरोकार (engagement)</ref> होता

ख़्वाब वो दफ़्न है हक़ीक़त में
नख़्ल<ref>पेड़, पौधा (tree, sapling)</ref> उस ख़्वाब का उगा होता

मौत का दिन कहाँ मुअय्यन<ref>तय (appointed, determined)</ref> था
आपने याद तो किया होता

शब्दार्थ
<references/>