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आम्रपाली / युद्ध / भाग 3 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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रहे लोगरहित इ दियर, मुदा हए गाछ-बिरीछ।
पिप्पर, ताल, तमाल बीच, खड़ा इ महुआ सिरिस॥21॥

हेला, बेला, किंशुक, कदम्म, खरा हए जइसन ताड़।
शमी, अशोक, सीताफल, जामुन जौर पलाश॥22॥

रहे खूब घौन्ज-मौन्ज उ, जङलो खूब अहगर।
चारो ओरि से घेराएल, गङा, सन इ चकरगर॥23॥

धइला-के-धइला दारू पिलक, घोड़ा-हाथि दुन्नो इ।
डार्ह-गाछ के ममोरलक्, आएल बन पतझड़ो इ॥24॥

केरा-उँक्खी एक्को न बच्चल, मचएलक इ हरहोर।
उतरल जेन्ना गीध सऽ, उ मुर्दा खएलक जोर॥25॥

खाकऽ सैनिक ओङराएल, जेन्ना चान अम्बर पर।
सुरुज उगइते युद्धो के, बज्जत नगारा कसकऽ॥26॥

बैशाली न वार करत, बचाब रणनीति हए एक्कर।
देत हमला के जबाब, मुँहतोड़ कऽ ओक्कर॥27॥

काप्यक नौबलाध्यक्ष के, गुप्त सुचना मिल गेल।
राघोपुर-चेचर बीच, नइआ पुल बन गेल॥28॥

अर्थ सचिव भद्रिय कएलन इ, अनाज के इन्तजाम।
सैकड़ो इण्डा खुनाएल, बच्चल न कोनो काम॥29॥

विदेश सचिव नागसेन बज्जी संघ के हतन।
नीति-अनीति पर हरदम, ओहो नजर रखतन॥30॥