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मनोबल / मुकेश निर्विकार
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मनोबल एक रिजर्व स्टॉक है
जीवनी-शक्ति का
ऊर्जास्वित होता है मनुष्य
ईश आस्था से जिसमें
चुकती देह के कटु यथार्थ
को झुठलाकर
हठधर्मता से जीने कोशिश
करता है आदमी!
लेकिन मनोबल की भी एक सीमा होती है
जीवन की कटु सच्चाईयों को
वास्तविक धरातल को
ज्यादा देर नही झुठलाया जा सकता है
आखिर, कब तक जीते रहेंगे हम
इस आपातकालीन जीवनी-शक्ति के बूते,
क्योकि,
मनोबल अटूट नहीं होता है
इसकी भी अपनी एक सीमा होती है।