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कलियुग में शील-सदाचार / मुकेश निर्विकार
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कलियुग में:
कब्जा लिये ‘लालच’ ने
तमाम संसाधन,
‘क्रोध’ ने गढ़ डाला
सुरक्षा-कवच अभेध्य,
‘काम’ ने सुंदरियों को बख्शी
बेहद इज्जत और शोहरत,
‘छल-छध्य’ ले उड़े तमाम
कामयाबियाँ
हर ओर
बढ़ा जा रहा है
‘मद’ का हाथी
अलमस्त
जिंदगी के राजमार्ग पर
सबको रौंदते हुए....
कलियुग में :
सड़क के किनारे
खड़े हैं
चुपचाप
मुँह लटकाये
कुछ बेबस,
बेचारे,
निरीह लोग,
जरा गौर से देखता हूँ
उनको
तो रह जाता हूँ
एकदम से
ठगा!
दरअसल,
ये
‘सत्य’
‘ईमान’
‘मेहनत’
और
‘सदाचार’ हैं!
इनकी ये दुर्गति
किसने की?
राम जाने!...