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राजाओं के बिना धरती / मुकेश निर्विकार

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क्या धरती के लिए
वाकई जरूरी है इस पर
किसी का राजा होना?

घूमने के लिए इसको
अपनी ही धरी पर
राजाओं की हरगिज जरूरत तो नहीं!

लेकिन राजाओं के बिना भी
कब घूमी है कभी भी
यह धरा!
राजाओं के बिना
कब बीता है
कोई भी कालखण्ड
इस धरती का!

अफसोस!
राजाविहीन नहीं हो पाएगी
कभी भी
यह धरा

दूसरों पर भृकुटियाँ ताने
नाहक

दंभ भरते रहेंगे राजा—
धरती को घूमने का....
सृष्टि को चलाने का....

और धरती यूँ ही घूमती रहेगी सदा
बिना कोई प्रतिवाद किए
चुपचाप
राजाओं को अपनी पीठ पर लादे!