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संग राजा का / मुकेश निर्विकार
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संग राजा के रहो
तो सच मत कहो
मत कहो कि महाराज!
धरती अपने आप घूमती है,
बल्कि, कहो कि हजूर, यह तो आप ही के रहमोंकरम से घूमती-फिरती है
मत कहो कि धरती एक ग्रह है
बल्कि, कि सरकार! धरती तो आपके खेलने का लट्टू है
जिसमें मार देते हो दो-चार लात आप
तो घूमती-फिरती है बेचारी दिन-रात इधर-उधर
और घूमती रहेगी सदा आपके हुकुम तक
मत कहो कि सूरज में जो आग है
वह उसकी अपनी है
बल्कि, कहो कि सूरज तो महज एक हंडा है हुजूर
जिसमें बाल देते हैं आप रोज एक चिंगारी अपने तेज की
तो भभक उठता देश-देशांतर
मत कहो की दुनिया अपने आप चल रही है
बल्कि, कहो कि आलीजाह आप ही तो चला रहे इसे.....
हँसो मत!
बल्कि बाँचों इसे
यह हुकूमतें ढहाने का सबसे आसान तरीका है