भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इंद्रधनुष होना चाहता हूँ / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:31, 22 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुँअर रवीन्द्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बचे हुए रंगों में से
किसी एक रंग पर
उंगली रखने से डरता हूँ
में लाल. नीला केसरिया या हरा
नहीं होना चाहता
में इंद्रधनुष होना चाहता हूँ
धरती के इस छोर से
उस छोर तक फैला हुआ