भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात का अंतिम प्रहर / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:33, 22 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुँअर रवीन्द्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रात का अंतिम प्रहर
और
कुछ शब्द
कल की उम्मीदों से भरे हुए
कुछ शब्द अलसाए
कुछ थके-थके से
कुछ धुले-धुले
कुछ गीले