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रात का अंतिम प्रहर / कुँअर रवीन्द्र

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रात का अंतिम प्रहर
और
 
कुछ शब्द
कल की उम्मीदों से भरे हुए
कुछ शब्द अलसाए
कुछ थके-थके से
कुछ धुले-धुले
कुछ गीले