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होम्यो कविता: ग्रेफाइटिस / मनोज झा
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कटा फटा चटचटा सोराइसिस,
थ्री-एफ देखो दो ग्रेफाइटिस।
गाँठ-गाँठ मल कड़ा बड़ा हो,
नख बिगड़ा गंदा चमड़ा हो।
दुधिया प्रदर गलाता खाल,
एक्जीमा संग पलक हो लाल।
कर्णनाद हो सों-सोँ गड़-गड़,
रोता है संगीत को सुनकर।
खत्म हुई सहवास की इच्छा,
ग्रेफाइटिस दो यही है शिक्षा।