भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तलाश / सुभाष राय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:28, 26 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष राय |अनुवादक= |संग्रह=सलीब प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मौसम साफ होने पर कोई भी
बाढ़ के खिलाफ पोस्टर लगा सकता है
बिजली को ग़ालियाँ बक सकता है
तूफ़ान के ख़िलाफ़ दीवारों पर नारे लिख सकता है

जब हवा शीतल हो, धूप मीठी हो
कोई भी क्रान्ति की कहानियाँ सुना सकता है
घर मे लेनिन और माओ की तस्वीरें टाँग सकता है

लेकिन जब मौसम बिगड़ता है
गिने-चुने लोग ही घर से बाहर निकलते हैं
बिजलियों की गरज से बेख़बर
बाढ़ के खिलाफ बान्ध की तरह
बिछ जाने के लिए

ऐसे कितने लोग हैं
धरती उन्हें चूमना चाहती है प्यार से