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आप से गिला आप की क़सम / सबा सीकरी

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आप से गिला<ref>शिकायत</ref> आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम

उस की क्या ख़ता, ला-दवा<ref>लाइलाज़, जिसका ठीक न किया जा सके</ref> है गम़
क्यूँ गिला करें चारागर<ref>वैद्य, हक़ीम, चिकित्सक</ref> से हम


ये नवाज़िशें<ref>मेहरबानी, कृपा</ref> और ये करम<ref>दया</ref>
फ़र्त-ए-शौक़<ref>प्रिय वस्तु का लालच</ref> से मर न जाएँ हम

खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम

ये अगर नहीं यार की गली
चलते-चलते क्यूँ रुक गए क़दम

शब्दार्थ
<references/>