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आशियाँ / सुस्मिता बसु मजूमदार 'अदा'
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जानम चल बसा लें
इक छोटा सा आशियाँ
जहाँ कोई भी नहीं हो
तेरे मेरे दरमियाँ।
इक पहाड़ी पर घर हो
राज दिन यूँ बसर हो
दिन में हो बादल मेहमाँ
रातों को चाँदनी हो
पैरों तले जमीं हो
छूने को आसमाँ हो
जन्नत लगे हमें घर
ऐसी हो वादियाँ।
खूबसूरत फिज़ाएं
गुनगुनाती हवाएं
संग खुला आसमाँ हो
तारों का कारवाँ हो
अंजाना इक सफर हो
तू मेरा हमसफर हो
खो जाएं हर डगर पे
मंजिल हो रास्ता।