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शोक सभा / दिनेश्वर प्रसाद
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आपके जीने से क्या हुआ ?
आपके मरने पर एक दिन छुट्टी हुई ।
हम मनाते हैं — हर रोज़ आप मरें ।
हम हर रोज़ शोकसभा करेंगे
और प्रस्ताव पारित कर कहेंगे —
‘मित्रो, दिवँगत पुरुष कितने महान् थे !
कितने सुशील सच्चरित्र थे !
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ।’
एक मिनट मौन रहकर हंसते हुए
घर वापस जाएँगे
और आपके बोझ से अपने को हल्का पाएँगे ।