भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अहसास / बीना रानी गुप्ता
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:14, 1 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बीना रानी गुप्ता |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
महक आ रही है किचिन से
पकौड़ियों के तलने की
चाय उबलने की
हँसते खिलखिलाते बतियाने की
बच्चे की गेंद उछली
पहुँची बालकनी में
आवाज गूंजी
ताली जोर से बजाने की
माँ प्यार से डाँट रही
कभी दुलार रही
पापा नाश्ते का स्वाद लेते
बिट्टू को गले से चिपकाये
अपनेपन का अहसास कराते
यह घर ईंट सीमेंट का नही
प्यार ममता का अहसास है
यहाँ अकेलापन नही
भरापूरा संसार है।