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इस अजनबी शहर में / बीना रानी गुप्ता
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माँ इस अजनबी शहर में
थका मांदा लौटता हूँ घर
कोई हाथ नहीं उठता
सहलाने को बाल
कोई नहीं पूछता
और चाहिए रोटी या दाल
चुपचाप खा लेता हूँ
बेस्वाद खाना
नींद नही आती तो
ढूंढता हूँ ममता भरे हाथ
मन करता है
फिर से बन जाऊं
वही छोटा बच्चा
जो मचलता था
तुम्हारी गोद पाने को
सब कुछ है मेरे पास
पैसों की खनखनाहट
बस नही मिलती
तुम्हारी ममता की गंध
आने की आहट
इस अजनबी शहर में।