भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सीधी-सी बात / पाब्लो नेरूदा / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:48, 10 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पाब्लो नेरूदा |अनुवादक=मंगलेश डब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
शक्ति होती है मौन (पेड़ कहते हैं मुझसे)
और गहराई भी (कहती हैं जड़ें)
और पवित्रता भी (कहता है अन्न)
पेड़ ने कभी नहीं कहा :
'मैं सबसे ऊँचा हूँ !'
जड़ ने कभी नहीं कहा :
'मैं बेहद गहराई से आई हूँ !'
और रोटी कभी नहीं बोली :
दुनिया में क्या है मुझसे अच्छा'
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल