भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पूर्वाभ्यास / डोरिस कारेवा / तेजी ग्रोवर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:05, 11 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डोरिस कारेवा |अनुवादक=तेजी ग्रोव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं बुढ़ापे का पूर्वाभ्यास कर रही हूँ,
अकेलेपन,
ग़रीबी,
बहिष्कृत किए जाने का,

मुफ़लिसी,
और न होने का पूर्वाभ्यास.
मैं अन्धेपन का पूर्वाभ्यास कर रही हूँ,
अन्त के अन्त का ।

आख़िरकार
किसी भी चीज़ का भय नहीं रहता.
भय, मत खरोंचो मेरी रातों को,
अपने सपनों जैसा बनाने उन्हें ।

दुख के अनुभव,
सोने की धातु को बह जाने दो
हस्ती की नदी से ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : तेजी ग्रोवर