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मेरी आहें / महेन्द्र भटनागर
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मेरी आहें, मेरी आहें !
इनमें ज्वाला जलती अविरल,
इनमें तूफ़ानों-सी हलचल,
ये विप्लव करने को चंचल,
मेरी आहें, मेरी आहें !
इनमें भूचालों-सा कंपन,
हैं विद्रोही दुर्जय भीषण,
ध्वस्त सभी कर देंगी बंधन,
मेरी आहें, मेरी आहें !
पीड़ित जनता की हैं संबल
स्वर्ग बना सकती हैं भूतल,
शस्त्रों-से बढ़ रखती हैं बल,
मेरी आहें, मेरी आहें !
ये आहें हुंकार बनेंगी,
दानवता से आज लड़ेंगी,
‘डरना मत’, हर बार कहेंगी,
मेरी आहें, मेरी आहें !:
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