भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रहस्य मेरा / गैयोम अपोल्लीनेर / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:56, 25 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गैयोम अपोल्लीनेर |अनुवादक=अनिल ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा रहस्य तू अभी तक
खोल नहीं पाया
और मौत का रथ क़रीब आता जा रहा है
दुख से पीली पड़ गई है
हम सबकी काया
और यूँ ही समय ग़रीब ये बीता जा रहा है

फव्वारा जीवन का यह
सजा हुआ है फूलों से
और लोगों के चेहरों पर है मुखौटों की छाया
और मेरे भीतर जैसे
बज रही हैं घण्टियाँ
मेरा रहस्य तू अभी तक खोल नहीं पाया

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय