मेघ ने धरा-
धरा पर चुम्बन,
झूमे बरसे।
विरहन तरसे
मिलन-राग
गाओ प्रिय फिर से।
गूँगे का गुड़
मन कुछ यूँ हर्षे
मनुहार हो
प्रेमालाप-प्यार हो,
आशा है-अम्बर से।
मेघ ने धरा-
धरा पर चुम्बन,
झूमे बरसे।
विरहन तरसे
मिलन-राग
गाओ प्रिय फिर से।
गूँगे का गुड़
मन कुछ यूँ हर्षे
मनुहार हो
प्रेमालाप-प्यार हो,
आशा है-अम्बर से।