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अँखियाँ बाँचें / कविता भट्ट
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1
धरा-अधर
धरा रवि -चुम्बन
प्रीत मगन
2
अँखियाँ बाँचें
बादल बने पाती
मैं उड़ आती ।
3
खूँटी-ये आँखें
तेरी हैं प्रियतम
टँगा है मन ।
4
उलझी जुल्फें
मतवारा है दिल
प्यारा-सा तिल ।
5
नींद सौतन
प्रीत हठी तिहारी
मैं बलिहारी।
-0-