भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तेरी याद व विदाई / राजकिशोर सिंह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:28, 7 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकिशोर सिंह |अनुवादक= |संग्रह=श...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुऽ के सागर में रात भर
तू डुबकी लगाती रही
तेरी याद में नींद मुझे
देर रात तक चिढ़ाती रही

तू बदलती होगी करवटें
दिल से किसी की बाहों में
मैं हिचकियाँ ले-लेकर अब
जगता हूँ तेरी आहों में

तू सोयी होगी पैरों पे
पैर रऽ के अंगड़ाई में
मेरा पल-पल कट रहा है
तेरी याद व विदाई में

सारे लोग सोये होंगे
तेरी साँसों की गहराई में
मेरी पलक गिरती नहीं
देर रात तक तन्हाई में

अब मेरी साथी बनेगी
अँध्ेरी और बरसाती रात
कलेजे पर ऽाकर चोटें
बिगड़ेंगे मेरे हालात।