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जाने कैसा भाई है वो / हरि फ़ैज़ाबादी
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जाने कैसा भाई है वो
भाई की कठिनाई है वो
आख़िर कब तक यही कहें सब
बचपन से दंगाई है वो
दूल्हे को जो कार मिली है
लालच की लम्बाई है वो
दुनिया जिसको लाठी कहती
अंधे की बीनाई है वो
गीता सिर्फ़ नहीं है पुस्तक
जीवन की सच्चाई है वो
इतनी जल्दी नहीं रुकेगी
मेहनत की जमुहाई है वो
‘हरि’ हम जिसको मक़्ता कहते
मतले की अँगड़ाई है वो