भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रंगल नगरिया / मुनेश्वर ‘शमन’
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:36, 27 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुनेश्वर 'शमन' |अनुवादक= |संग्रह=सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रंगल नगरिया वन के बउरइलय मउसम।
बहकल चाल पवन के बउरइलय मउसम।
टहनी-फुनगी पर सतरंगा फूल खिलल।
मांग सजल दुलहन के बउरइलय मउसम।
नया-पुराना अनुबंधन के राह खुलल।
अँखियन से अँखियन के बउरइलय मउसम।
टूट गेलय बर्जना बसंती जादू से।
ऐसन आँच लगन के बउरइलय मउसम।।
नेह के रंगोली से घर-अँगना दमकय।
प्यास बढ़ल मन-मन के बउरइलय मउसम।