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चलो / आलोक कुमार मिश्रा
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चलो चान्द पर करें चढ़ाई
बैठ वहाँ पर करें पढ़ाई
सूरज पर भी धावा बोलें
गर्मी उसकी जरा टटोलें
फिर बादल पर झूला झूलें
कूद-कूद कर तारे छू लें
चलें हवा संग दूर देश में
घूमें जब तक रहें जोश में
जब थक जाएँ घर को आएँ
खा-पीकर बिस्तर पर जाएँ ।