भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाल वर्ष / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:22, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नहीं चलेगी धौंस बड़ों की
है यह पूरा साल हमारा।
बड़े-बड़े जाते हैं पिक्चर,
हमे छोड़ जाते हैं घर पर,
चिंता नहीं किसी को इसकी
कहाँ सिनेमा- हॉल हमारा।
खेलकूद से रोका करते,
जब देखों तब टोका करते,
बात-बात पर कर देते हैं
कान खींच कर लाल हमारा !
बड़े हमे दिन भर दौड़ाते,
घर बाहर का काम का कराते।
काम बड़ा का मौज उड़ाना,
बाकी सब जंजाल हमारा !
अब आई है बार हमारी,
कसर निकालेंगे हम सारी,
कर न सकेगा दुनिया- भर में,
कोई बाँका बाल हमारा