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झूठ ही मुस्कुरा दिया होगा / गोविन्द राकेश
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झूठ ही मुस्कुरा दिया होगा
दर्द दिल का छुपा दिया होगा
आख़िरी साँस थमने से पहले
हाथ अपना हिला दिया होगा
पाँव तो उठ सका नहीं उसका
भूख ने भी सता दिया होगा
चीख़ भी ज़़ोर से नहीं पाया
आह को भी दबा दिया होगा
आँख उसकी हुई ज़रा-सी नम
दिल किसी ने दुखा दिया होगा