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जीवन में जब ग़म छाएगा / रामश्याम 'हसीन'
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जीवन में जब ग़म छाएगा
तब तुझको जीना आएगा
रस्ता तकते बरसों बीते
आने बाला कब आएगा
आनेवाले! आ भी जा अब
कितना मुझको तरसाएगा
जो भी तूने सोच रखा है
क्या तू वह सब कर पाएगा
बच्चों जैसी ज़िद करता है
ये दिल हमको मरवाएगा