भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूखे पेट भजन होता है / रामश्याम 'हसीन'
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:42, 26 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामश्याम 'हसीन' |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भूखे पेट भजन होता है
अपना-अपना मन होता है
होता कुछ है, कुछ दिखलाता
ऐसा भी दरपन होता है
पैसे वाले में दिल मुश्किल
दिलवाला निर्धन होता है
सुलझे-सुलझे जीवन में भी
उलझा-उलझा मन होता है
हर परीना घर में अब भी
सबका इक आँगन होता है