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प्रभाव / राखी सिंह
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तुम मेरा नाम पुकारो
हवाओं में
और देखो;
मैं कविताएँ लिखती हूँ कि नहीं
तुम उन्हें पढ़कर मुस्कुरा दो
और देखो;
कुछ फूल उगते हैं कि नहीं
तुम अकेले में हंसकर,
मेरी तस्वीर छूकर,
कह दो-पागल!
तुम आंखे मूंदो
और देखो;
मैं तुम्हारे अकवार में हूँ कि नही!