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अपराध / राखी सिंह
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भूल थी जो
कण जितनी सूक्ष्म
तुमने उसे विस्तार दिया
निर्दोष समान दोष 
को क्यों छल कहा? 
अपराध ही है जब, तो 
लो अब
अंकित रहेंगे दंड इसके।
	
	