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थाने का कारकून / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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चूहेजी की रपट लिखाने,
बिल्ली पहुँची थाने।
जगह-जगह पर खोद लिए हैं,
उसने बिल मनमाने।

जब भी जाती उसे पकड़ने,
बिल में घुस जाता है।
दिन भर रहती खड़ी मगर,
वह बाहर न आता है।

कोतवाल ने रपट अभी तक,
लिखी न मेरे भाई।
चूहे के संग मिली भगत,
मुझको पड़ती दिखलाई।

रोटी के कुछ टुकड़े चूहा,
थाने भिजवाता है।
थाने का हर कारकून,
मिलकर टुकड़े खाता है।