Last modified on 21 मार्च 2020, at 15:30

एक नया कल / मनीष मूंदड़ा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:30, 21 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीष मूंदड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम हो आज मेरे साथ
कल का पता नहीं
वैसे आने वाले कल का पता होता ही किसे है
लोग तो बीते कल मैं ही अपनी जि़ंदगी जी लेते हैं
पर मैं
तुम्हारे साथ मेरे आज में जीना चाहता हूँ
कल की चिंता ना मुझे थी
और अब जो तुम मेरे साथ हो तो
मुझे आज की भी फि़क्र नहीं
तुम और मैं शायद आज के लिए ही बने हैं
आओ इस आज की जि़ंदगी को जि़ंदादिली से जी लें
एक नए कल को जन्म देने के लिए